सितंबर के अंत तक लेगा मानसून विदाई, मानसून ने रिकॉर्ड तोड़ बारिश का किया दावा
राजस्थान में मानसून का विदाई का मौसम और रिकॉर्ड तोड़ बारिश
मानसून की विदाई और बारिश का आंकड़ा
राजस्थान में इस बार मानसून ने रिकॉर्ड तोड़ बारिश का दावा किया है। मौसम विभाग की नवीनतम भविष्यवाणी के अनुसार, सितंबर महीने के अंत तक मानसून विदाई ले लेगा, लेकिन इस बार बारिश के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। कोटा शहर में मानसून की विदाई से पहले बारिश ने न केवल कोटा का कोटा पूरा किया है, बल्कि पिछले वर्षों के रिकॉर्ड को भी तोड़ने की संभावना जताई जा रही है।
कोटा में बारिश का रिकॉर्ड
- कोटा में औसत बारिश: 716 मिमी
- इस सीजन में बारिश: 1028 मिमी (लगभग 70% अधिक)
- सितंबर में अब तक बारिश: 340 मिमी
मानसून का समय और बारिश की प्रवृत्ति:
- मानसून की एंट्री: 25 जून
- कोटा का कोटा पूरा होने की तारीख: 8 अगस्त (सामान्यतः सितंबर के तीसरे-चौथे सप्ताह तक पूरा होता है)
मौसम के बदलाव और रिकॉर्ड
- सितंबर में बारिश की तुलना (वर्षवार):
- 2023: 340 मिमी
- 2022: 100.5 मिमी
- 2021: 203.9 मिमी
- 2020: 132.5 मिमी
- 2019: 317.2 मिमी
- कोटा में औसत बारिश (वर्षवार):
- 2011: 1099 मिमी
- 2012: 817 मिमी
- 2013: 1242 मिमी
- 2014: 883 मिमी
- 2015: 441 मिमी
- 2016: 1184 मिमी
- 2017: 453 मिमी
- 2018: 889 मिमी
- 2019: 1489 मिमी
- 2020: 607 मिमी
- 2021: 1167.7 मिमी
- 2022: 1289 मिमी
- 2023: 591.60 मिमी (अब तक)
हालिया बारिश के प्रभाव
- कोटा बैराज: चंबल के कैचमेंट क्षेत्र में बारिश होने से कोटा बैराज के दो गेट खोलकर 7000 क्यूसेक पानी की निकासी की गई।
- रविवार की बारिश: सुबह 8.30 से शाम 5.30 बजे तक 4.5 मिमी बारिश दर्ज की गई। पिछले 24 घंटों में 38 मिमी बारिश हुई।
- रामगंजमंडी क्षेत्र: ताकली बांध के दो गेट पहली बार खोले गए और 1160 क्यूबिक फीट जल निकासी की गई।
आगे की भविष्यवाणी
- मानसून विदाई: सितंबर के अंत तक मानसून की विदाई होने की संभावना है।
- बारिश के रेकॉर्ड: बारिश के रिकॉर्ड टूटने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि मानसून की विदाई से पहले अभी भी बारिश का दौर जारी है।
निष्कर्ष
इस बार राजस्थान, विशेषकर कोटा क्षेत्र में मानसून ने अभूतपूर्व बारिश की है, जो पिछले वर्षों के रिकॉर्ड को पार कर चुकी है। यदि मौसम की स्थिति इसी प्रकार बनी रहती है, तो इस वर्ष की बारिश न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन सकती है। किसान, जल प्रबंधन अधिकारी और स्थानीय प्रशासन के लिए यह आवश्यक है कि वे इन आंकड़ों का ध्यान रखें और भविष्य की योजना बनाने में इसका उपयोग करें।